Municipal Corporation had entrusted the work of maintenance of parks to RWA

नगर निगम ने आरडब्लयूए को सौंपा था पार्कों की देखरेख का काम: निगम के भरोसे पर खरी नहीं उतर रही आरडब्लयूए !

Municipal Corporation had entrusted the work of maintenance of parks to RWA

Municipal Corporation had entrusted the work of maintenance of parks to RWA

Municipal Corporation had entrusted the work of maintenance of parks to RWA- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I नगर निगम ने शहर के विभिन्न पार्कों की देखरेख का जिम्मा सेक्टरों की रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को सौंपा है लेकिन वह इनकी मेंटेनेंस करने में नाकाम साबित हो रही हैं। शहर के ज्यादातर पार्कों की स्थिति बदहाल है। इनके हालात एसोसिएशनों को सौंपे जाने से पहले से भी बदतर हो गये हैं। विभिन्न सेक्टरों से लोग बार बार निगम के पास शिकायतें पहुंचा रहे हैं लेकिन न तो निगम और न ही एरिया काउंसलर और न ही आरडब्लयूए इन्हें सुंदर बनाये रखने की दिशा में कोई काम कर रही हैं।

नगर निगम की यह कोशिश पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। पार्षद निगम के फैसले पर खुद सवाल उठा रहे हैं। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों को मोटी रकम निगम की ओर से पार्कों की मेंटेनेंस के लिये मिलती है लेकिन पैसा कहां जाता है, इसका कोई जवाब नहीं मिल पा रहा। पार्कों की मेंटेनेंस का काम प्रति स्कवायर वर्ग के हिसाब से नगर निगम की ओर से दिया जाता है। इसी के अनुरूप राशि भेजी जाती है लेकिन राशि कहां खर्च हो रही है, इसका कोई हिसाब देने  को  तैयार नहीं। बीते दिनों तो काउंसलरों ने निगम की बैठक में सवाल उठाया कि जो पार्क आरडब्लयूए को मेंटेनेंस को दिये गये हैं और उसके लिये राशि जारी की गई है, उसका बाकायदा ऑडिट होना चाहिए। आरडब्ल्यूए को प्रति माह 39 लाख का किया जा रहा भुगतान

809 पार्कों की मेंटेनेंस का जिम्मा 86 आरडब्लयूए को

नगर निकाय शहर में 809 पड़ोस पार्कों की मेंटेनेंस के लिये कुल 86 आरडब्ल्यूए को हर महीने 39 लाख का भुगतान कर रहा है। एमसी के अधिकार क्षेत्र में 2,300 एकड़ में, 1,800 नेबरहुड पार्क हैं और इनमें से 809 (लगभग 290 एकड़ को कवर करते हुए) का रखरखाव 86 आरडब्ल्यूए द्वारा प्रति माह 4.15 रुपये प्रति वर्ग किमी के हिसाब से किया जा रहा है। एमसी के बागवानी विंग से भाजपा पार्षद सौरभ जोशी की ओर से विवरण मांगा गया था क्योंकि पार्कों के रखरखाव में बहुत सी शिकायतें सामने आ रही थी। विवरण से पता चला कि केवल 86 आरडब्ल्यूए शहर के कुल 35 वार्डों में से 21 में 809 पार्कों का रखरखाव कर रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि 86 आरडब्ल्यूए में से 10 को प्रति माह 23.86 लाख का बड़ा हिस्सा मिल रहा है, जबकि शेष 15 लाख का भुगतान 76 आरडब्ल्यूए को किया जा रहा है। सेक्टर 22 की अमृत आरडब्ल्यूए 44 पार्कों का रखरखाव कर रही है और हर महीने 2.84 लाख ले रही है, जबकि सेक्टर 22 की आरडब्ल्यूए 54 पार्कों का रखरखाव 2.65 लाख में कर रही है। इसी तरह, अटावा के क्लीन ग्रीन आरडब्ल्यूए को 2.36 लाख मिल रहे हैं। आप पार्षद दमनप्रीत सिंह के वार्ड में स्थित पार्क के लिये आरडब्ल्यूए को हर महीने 1 लाख मिल रहे हैं, लेकिन वह कुछ नहीं कर रही है।

लोगों के साथ हर सप्ताह लेते हैं जायजा:देवेंद्र सिंह बबला

सेक्टर 29 के पार्कों की देखरेख का जिम्मा भी करीब आधा दर्जन से ज्यादा रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के भरोसे है। वार्ड के पार्षद देवेंद्र सिंह बबला का कहना है कि एसोसिएशन उनके वार्ड में करीब 60 से 70 पार्कों की देखरेख कर रही है। हर सप्ताह वह इन पार्कों का इलाके के लोगों की टीम के साथ जायजा लेते हैं। लोग इनकी मेंटेनेंस से पूरी  तरह खुश हैं। कहीं कोई कमी नजर आती है तो इन एसोसिएशनों को आगाह किया जाता है। उन्होंने कहा कि सेक्टर 28 सी और 28 बी के जो पार्क हैं उनकी देखरेख आरडब्लयूए के पास नहीं है क्योंकि यहां सरकारी मकान हैं। देवेंद्र बबला ने बताया कि उनके सेक्टर में कई पार्कों की देखरेख का जिम्मा सीबीआई, एफसीआई या अन्य संस्थानों ने अपने हाथ लिया था। इन संस्थानों ने अपने बड़े बड़े बोर्ड तो लगा दिये लेकिन देखरेख के नाम पर कुछ नहीं किया। इसकी वजह से कई पार्कों के बुरे हाल हैं। उन्होंने कहा कि प्रशासक के सलाहकार को बाकायदा इस बाबत लिखा है कि इनको पार्कों की दी गई अलॉटमेंट कैंसिल की जाए। जो वाकई काम करना चाहते हैं पार्क उनके हवाले किया जाए। अर्थप्रकाश अखबार के बराबर के पार्क की देखरेख का जिम्मा प्रशासन के हवाले है। इसकी देखरेख को लेकर चीफ इंजीनियर सीबी ओझा से बातचीत करेंगे और इसे ज्यादा बेहतर बनाने की मांग करेंगे।

सेक्टर 29 डी के पार्क के बुरे हालात, गेटों पर कूड़े के ढ़ेर, टाइलें टूटी हुई, लाइटें बंद

चंडीगढ़ के सेक्टर 29-डी के पार्क के पास गंदगी का जबरदस्त आलम है। पार्क के दोनों तरफ कूड़े के ढ़ेर लगे हैं। इसके गेटों पर टूटी टाइलें आपका इस्तकबाल करती हैं। पार्क के अंदर पेड़ों की कटाई-छंटाई भी प्रॉपर तरीके से नहीं होती है। घ् पार्क के साथ से गुजरती सडक़ पर महीने के कई दिन सीवरेज का पानी जमा रहता है जिससे न केवल बदबू उठती है बल्कि मक्खी-मच्छर भी पैदा होते हैं। यहां के निवासियों को इससे कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्हें सैर के लिए पार्क में आने के लिये  मशक्कत करनी पड़ती है और इस सीवरेज भरे पानी में से निकल कर आना पड़ता है। पार्क के भीतर भी मेंटेनेंस सही नहीं है। यहां कई जगह बेतरतीब घास खड़ा है। पार्क के भीतर आने वाले खाने पीने के रैपर गिरा जाते हैं, उसकी सफाई इत्यादि का भी कोई इंतजाम नहीं है। पार्क में माली भी खड़े घास को काटने की जद्दोजहद नहीं करते। लोग खुद बखुद ही पार्क की मेंटेनेंस की नगर निगम से शिकायत कर रहे हैं लेकिन कोई इसे ठीक कराने की दिशा में काम नहीं कर रहा। पार्क के बाहर भी और अंदर भी कई जगह पानी जमा रहता है। डेंगू का सीजन चल रहा है और बड़ी तादाद में बीमारी के केस भी आ रहे हैं लिहाजा इसको लेकर आसपास के निवासियों में चिंता है। नगर निगम को इसकी शिकायत कई बार की जा चुकी है लेकिन निगम कर्मचारी और अधिकारी यह कहकर इतिश्री कर लेते हैं कि पार्कों की जिम्मेदारी रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों के पास है। पार्क के इर्दगिर्द भी जंगल बना है। इसमें पौधे लगे हैं लेकिन यहां भी झ़ाडियों इत्यादि को साफ करने का काम नहीं होता। पार्क में असामाजिक तत्वों का भी बोलबाल है। यहां के निवासी सुबह-शाम  पार्क में सैर करने निकलते हैं लेकिन उन्हें यहां की परिस्थितियां  देखकर शर्मिंदा होना पड़ता है। पार्क में जोड़े भी पेड़ों की आड़ में या बैंचों पर बैठे रहते हैं ऐसी गतिविधियों में लिप्त रहते हैं जिससे यहां से निकलने वालों को मुंह नीचा करके जाना पड़ता है। उधर नशे करने वाले भी पार्क में डेरा जमाये रहते हैं। पीसीआर यहां चक्कर तो लगाती है लेकिन ऐसे तत्वों पर ध्यान नहीं देती। चूंकि यहां जंगल भी लगता है लिहाजा इनमें भी सफाई कर्मी मकानों से उठाकर कूड़ा डाल जाते हैं।